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0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

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शराब सिर्फ एक नकाब है, जो हमारे दिमाग को धुंधला कर देता है

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इस बार हमारी टीम वर्ल्ड कप फाइनल में पिट गई, हजारों ख्वाहिशें मिट गईं। मायूस चेहरे स्टेडियम से बाहर निकल ही रहे थे कि वाट्सएप पर किसी ने टिप्पणी दी- ये लोग जाएंगे कहां अपना गम मिटाने के लिए? गुजरात में निषेध जो है, तो बस नींबू पानी सोडा पीना पड़ेगा। और कोई चारा नहीं।

वैसे एल्कोहल शब्द काफी शालीन लगता है। पुरानी फिल्मों में एक होते थे कर्नल साहब। अपने वफादार कुत्ते टॉमी की कंपनी में वो बड़े स्टाइल से पैग मारते थे। दूसरी तरफ हाथ में बोतल लिए, सड़क पर लड़खड़ाता हुआ बेवड़ा। शायद उसके सच्चे प्यार पर लड़की के बाप ने फ्रिज का ठंडा पानी फेंक दिया हो। और उस जमाने में डेटिंग एप थोड़े ही थे कि बंदा खोलकर अपने लिए झट से कोई नई प्रोफाइल ढूंढ ले। ना जी ना, सच्चा प्यार खोने के गम ने ही तो जन्म दिया शायरी को। क्योंकि हसीना की जुल्फें सिर्फ कविताओं में मिलती हैं। शादी बाद मिलते हैं सिंक में बाल।

बाल की बात निकली तो मैं आपको बता दूं कि मार्केट में आजकल बीयर शैंपू बिक रहा है। कहते हैं इससे बाल लंबे और घने रहते हैं। अगर आपने वीकेंड पर पार्टी करी, एक-दो बीयर फ्रिज में रह गईं और सास की नजर पड़ गई तो सीधा उन्हें झड़ते हुए बालों की दुख भरी कहानी सुना देना।

वैसे पार्टी में एक-दो ड्रिंक लेना कोई बुरी बत नहीं। लेकिन बच्चों को कैसे बताया जाए? जब मेरी बेटी 3-4 साल की थी उसने पूछा, तो हमने कह दिया कि बड़े लोग पेप्सी में दवाई डालकर पीते हैं। उसने मान लिया। फिर एक दिन किसी गेदरिंग में 50 लोगों के सामने वही शब्द रिपीट कर दिए। उफ्फ! सच कहूं तो वो अब वो स्टिगमा रहा नहीं। पहले बरात के पहले कोने में खड़े होकर दूल्हे के दोस्त एक-दो पैग मारते थे। अब तो कुछ शादियों में पूरा बार सेटअप किया हुआ है। तो छिपने-छिपाने की जरूरत नहीं। इधर प्रॉब्लम कुछ और है। अगर आप कहें मुझे सिर्फ पेप्सी चाहिए तो दवाई के साथ पिलाने पर दोस्त अड़ जाते हैं। एक ड्रिंक से कुछ नहीं होता… ले लो।

ऐसे में हारकर आप ड्रिंक लेकर खड़े हो सकते हैं। पीना या ना पीना आपकी इच्छा। मौका मिलते ही झाड़ के पीछे फेंक दिया। वैसे ये गलतफहमी है कि ड्रिंक के बिना आप पूरी तरह एंजॉय नहीं कर सकते। आपके आसपास पी-पीकर जब लोग अजीब हरकतें शुरू करेंगे तो ड्रामा का आनंद वही लेगा, जो होश में है। खैर, समस्या अब ये है कि ड्रिंकिंग को कूल माना जाता है। लेकिन 21 से कम तो मना है। तो आजकल स्कूल के बच्चे अपना फेक आईडी कार्ड बनाकर पब में जाते हैं। पब वालों को पता है, लेकिन फॉर्मेलिटी पूरी करके उन्हें अंदर ले लेते हैं। आखिर उन्हें तो ग्राहक चाहिए। दोनों के लिए विन-विन।

अब सोलह-सत्रह साल के स्टूडेंट को किसी ने सिखाया नहीं। वो तो बस टुन्न होना चाहते हैं। शॉट पर शॉट मारना और अगले दिन सिर में तेज दर्द- उनका रूटीन-सा बन जाता है। कुछ पैरेंट्स को पता है, मॉडर्न होने के चक्कर में अनदेखा कर देते हैं। बाकियों को तो खबर ही नहीं। बोर्ड एग्जाम का प्रेशर तो सब महसूस करते हैं। मन हल्का करने के लिए कुछ टीनेजर्स छुप-छुपकर पीने लगते हैं। मगर सच तो ये है कि समस्या से दूर भागने से समस्या खत्म नहीं होती। शराब सिर्फ एक नकाब है जो दिमाग को धुंधला करता है।

तो क्यों न हम अपने शौक पर लगाम रखें। क्या अकेले में भी दिल मचलता है? एेसे होती है आदत की शुरुआत। कीजिए अपने करीब किसी से बात। कौन-सी समस्या से आप भागना चाहते हैं? क्या पीकर सचमुच छुटकारा पाते हैं? बहानेबाजी बंद कीजिए। सही तरफ कदम लीजिए। जीवन ही इतना मधुर बनाएं। अति-आनंद उसमें नशा पाएं।

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