अगर बिजनेस करना है तो बोल्ड निर्णय लेने पड़ेंगे
70 साल पहले की बात है। पैसे की तंगी तब भी थी, आज भी है। तो क्यों न मेरे पास भी कमाने का कुछ साधन हो, घर की महिला ने सोचा। 15 मार्च 1959 के दिन सात महिलाओं ने बिल्डिंग की छत पर, धूप में बैठकर पापड़ बनाने का काम शुरू किया। उन्हें बिजनेस का ज्ञान नहीं था, बस ये पता था कि हमारे हाथ का पापड़ अच्छा बनता है।
उस वक्त, छगनलाल पारेख नाम के सोशल वर्कर ने उनकी मदद की। 80 रु. का लोन दिया और कुछ ज्ञान भी। शुरू-शुरू में महिलाएं दो तरह के पापड़ बना रही थीं- एक बढ़िया क्वालिटी का और एक ठीक-ठीक। छगन-बा ने तब उन्हें मूल मंत्र दिया।
‘बेन, एक ही पापड़ बनाओ, बेस्ट क्वालिटी का। तभी आपका नाम फेमस होगा और पापड़ हर जगह बिकेगा।’ हुआ वही। आज लिज्जत पापड़ हर किसी का चहेता है। 80 रु. से शुरू धंधे का टर्नओवर आज 800 करोड़ से अधिक है।
कहानी मैं इसलिए शेयर कर रही हूं कि पिछला लेख पढ़कर इतनी महिलाओं ने मुझे ईमेल भेजा कि मैं हैरान रह गई। इसलिए आज के लेख के द्वारा आपको गाइड करने की एक कोशिश। गौर से पढ़िए और समझिए। मामला सिंपल है, बस चार चीजों का ध्यान रखना होगा। बिजनेस की भाषा में इसे कहते हैं ‘4पी’।
प्रोडक्ट: कोई ऐसा चुनें जो आप उत्तम तरीके से बना सकती हैं और जिसकी डिमांड भी हो। जैसे कि आजकल की लेडीज़ के घर पर मिठाई, नमकीन, अचार-मुरब्बा बनाने का समय नहीं। मगर खाना सब चाहते हैं। तो आप कोई एक आइटम, जिसमें आप मास्टर हैं, उसे चुन लें। मगर जैसे छगनभाई ने कहा, क्वालिटी उम्दा होने चाहिए। देसी घी के लड्डू में भी घी टॉप का इस्तेमाल कीजिए। खाने के बाद लोगों को एहसास हो- अगली बार यही चाहिए
प्राइज़: अब कई महिलाएं फर्स्ट-क्लास प्रोडक्ट बनाती हैं मगर इतने कम दाम पर बेचती हैं कि प्रॉफिट ही नहीं बनता। इसलिए जरूरी है कि हर चीज का हिसाब रखें। दस लड्डू बनाने में कितनी बूंदी, शकर, घी लगता है। कास्टिंग का ध्यान रखना जरूरी है। आप थोक बाजार से सामग्री कम दाम में ला सकती हैं। हां, आपका खून-पसीना जो लग रहा है, अभी तो मुफ्त है। मगर समय के साथ उसका भी फल मिलेगा।
प्लेस: आप अपना माल कहां से बेचोगे? अपने शहर की किसी अच्छी दुकान से बात कर सकते हो कि ये मेरा प्रोडक्ट है, आप रखिए, लोगों को पसंद आएगा। ये आसान नहीं, मगर आदर से, प्यार से और थोड़ी-सी जिद से आप उन्हें मना सकते हो। वैसे अब ऑनलाइन भी बेच सकती हैं। वाट्सएप मैसेज या स्टेटस डाल कर देखिए। शायद वहीं से पहला ऑर्डर आ जाए? बस डिलीवरी का खर्च जोड़ना न भूलें।
प्रमोशन: कस्टमर को आपके प्रोडक्ट के बारे में कैसे पता चलेगा? एक अच्छी स्ट्रेटजी है सैंपलिंग। जैसे कि दुकान पर आए लोगों को लड्डू का एक टुकड़ा चखने के लिए दीजिए। और हां, अपने ब्रांड नाम से बेचिए। आपने सुना होगा कानपुर के फेमस ‘ठग्गू के लड्डू’। इसी तरह कोई यादगार नाम चुनें। उदाहरण के तौर पर एक हो गया, ‘दीदी का अचार’, दूसरा ‘मोटी दादी का अचार’। कौन-सा नाम दिमाग में चिपका?
आप सोच रही होंगी, ये सारे काम मैं अकेले कैसे करूंगी? ऐसी नेगेटिव थिंकिंग से बाहर आना होगा। राम ने लंका जीती थी वानर सेना की मदद से। आपको अपनी सेना बनानी है। कॉलेज में पढ़ रही आपकी बेटी सोशल मीडिया में माहिर है। इंस्टाग्राम पेज बनाने के लिए उसकी मदद लें।
हिसाब-किताब के मामले में बीकॉम ग्रेजुएट भांजे को पूछिए। धंधा करना है तो बोल्ड बनना है। लोगों से बात करने में हिचकिचाहट छोड़ दो। परिवार वालों का साथ जोड़ लो। सबको अपनी उम्र और अपने तकाजे के हिसाब से काम दो। सबकी भलाई के लिए सबका श्रमदान हो। धंधे से पूरे परिवार का उत्थान हो। घर की महिला को घर की लक्ष्मी का सम्मान हो।