fbpx

About Me

0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

Learn More
signature

मदद का ढिंढोरा ना पीटें, देकर भूल जाना ही सही है

0
(0)

क्रिसमस का महीना है, हर तरफ हो हो हो। मॉल में बड़ा-सा प्लास्टिक का एक पेड़, जिसके नीचे सांता क्लॉज विराजमान हैं। बच्चे उनकी गोद में बैठकर फोटो खिंचवा रहे हैं। कहानी-कार्टून के माध्यम से सबको बताया गया है कि सांता-क्लॉज नॉर्थ पोल से आते हैं।

हमें अपना मनपसंद तोहफा देने के लिए। तोहफा उन बच्चों को मिलेगा जो पूरे साल गुड बॉय या गुड गर्ल बनकर रहे। पर अब याद किसे? वैसे तो हम गुड थे, मगर हां, दो-चार बार मम्मी को खूब परेशान किया था। एक दिन तो टीचर ने भी मेरी शिकायत की थी। खैर, शायद इतने बच्चों का हिसाब-किताब करने में सांता जी थोड़ी भूल-चूक माफ कर देंगे!

वैसे बच्चे स्मार्ट होते हैं, बहुत जल्दी समझ जाते हैं कि कोई मोटा आदमी लाल सूट और दाढ़ी पहनकर नाटक कर रहा है। उसके हाथ से तोहफा जो मिल रहा है, उसके पैसे मम्मी-पापा ने ही दिए हैं। उफ्फ, दुनिया में कोई सांता-क्लॉज नहीं, किसी को नहीं पड़ी कि आप गुड बॉय थे या नहीं। वैसे बात सच है। पर क्या इसका मतलब ये है कि हम सही तरीके से जीने की कोशिश ही ना करें?

जब हम सुपरमार्केट जाते हैं, तो क्या हम सामान इसलिए नहीं चुराते कि वहां सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है, पकड़े जाने का चांस है? या इसलिए कि हम मानते हैं कि चोरी गलत है। पकड़े नहीं गए तो भी हम अपनी आंखों में गिर जाएंगे।

देखा जाए तो इस देश के ज्यादातर लोग मेहनती हैं, ईमानदार हैं। रोज हमारे घरों में लोग कम करने आते हैं- ड्राइवर, मेड, प्लम्बर। उनके हालात मुश्किल हैं, वो आपसे उधार भी मांगते हैं। पर चोरी-डकैती पर नहीं उतरते। कुछ साल पहले मैंने मुंबई के धारावी स्लम के बारे में एक किताब लिखी थी।

पहली बार जब वहां कदम रखा, तो थोड़ा-सा डर था कि लोग कैसे पेश आएंगे। कमाल की बात है कि किसी ने आंख उठाकर भी नहीं देखा। सब अपने काम में मगन। धारावी है ही ऐसी जगह, जहां 90% लोग अपना कोई छोटा-मोटा कारोबार करते हैं।

घर भी इस तरह बने हुए हैं, दो या तीन मंजिल के। एक में फैमिली रहती हैं, दूसरे में बिजनेस चलता है। चाहे एम्ब्रॉयडरी की मशीन या फरसाण का प्रोडक्शन। ये लोग अपना घर चला रहे हैं, साथ में औरों को भी रोजगार दे रहे हैं। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक धारावी में सालाना 650 मिलियन डॉलर का उत्पादन होता है। है ना चौंकाने वाली बात!

आप धारावी का टूर भी ले सकते हैं, उनकी ये उद्यमिता देखने के लिए। वैसे अगर आप ऐसा टूर ब्राजील या साउथ अफ्रीका के किसी स्लम में लेना चाहें, तो आपकी सेफ्टी की कोई गारंटी नहीं। जा सकता है आपका पर्स, या उससे भी कीमती…आपकी जान। मगर ऐसा फर्क क्यों?

जहां तक मैं समझती हूं, कर्मों के फल का कॉन्सेप्ट हमारी रग-रग में बसा है। कि आज जो मैं हूं, वो मेरे कर्मों का फल है। कल जो होगा, वो आज के आचार और व्यवहार का फल। बीते हुए कल का तो कुछ नहीं हो सकता, कष्ट भुगतना पड़ेगा। मगर कल क्या फल मिलेगा, वो मेरे हाथ में है। बहुत सारे लोग आज गलत तरीके से धन कमा रहे हैं। उसे गंवा रहे हैं, उड़ा रहे हैं। 500 करोड़ शादी में खर्च हो रहा है। ऐसा व्यक्ति क्या सच्चा सुख पाएगा? चैन की नींद और हजम होने वाली रोटी पाएगा?

तो इस साल क्रिसमस पर एक काम करिए। किसी जरूरतमंद के लिए सांता बनिए। एक अनाथ की स्कूल की पढ़ाई, किसी गरीब की महंगी दवाई। कोई जेल में सड़ रहा है क्योंकि वकील नहीं कर सकता। किसी का घर उजड़ रहा है क्योंकि किस्त नहीं भर सकता। दिमाग सवाल उठा रहा है। पैसा गलत जगह तो नहीं जा रहा है? थोड़ी जांच-पड़ताल जरूर कीजिए। मगर फिर प्यार और विश्वास दे दीजिए। ढिंढोरा भी पीटना नहीं है। देकर भूल जाना ही सही है। सांत बने जो जो। संतुष्ट रहे वो वो।

How did you like the story?

The author would love to know

0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Admin VIP

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *