मेरे पिताजी की सरकारी नौकरी थी। वेतन ज्यादा नहीं था मगर कभी कमी महसूस नहीं हुई। क्योंकि हम सब एक साथ, एक कॉलोनी में रहते ….
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सितंबर का महीना खत्म होने को आया, अब त्योहार शुरू। नवरात्र, दशहरा, दिवाली, फिर कुछ दिनों बाद साल खत्म होने का इंतजार। समय भाग रहा ….
मेरे घर पर एक प्यारी सी बेटी है- माया। वो नटखट है, सयानी भी। बेहद प्यार करती है, डांट भी लगाती है। उसकी बड़ी बहन ….
सास, बहू और नागिन वाले सीरियल्स का जमाना गया, अब लोग देख रहे हैं ‘के-ड्रामा’। यानी कोरिया में बने हल्के-फुल्के धारावाहिक। इनमें सबसे लोकप्रिय है ….
अरसा हो गया था हॉल में पिक्चर देखे हुए। कई बार मन करता था, फिर आलस आ जाता, ओटीटी पर आएगी तो घर पर देख ….
हाल ही में मेरे पिता डॉ. प्रह्लाद चंद्र अग्रवाल को स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड मिला। कॉस्पर नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने उन्हें ….
कुछ दिन पहले मैं एक फैंसी मॉल गई, जहां दुनियाभर की फैंसी दुकानें हैं। डिस्प्ले विंडो में एक जूता पसंद आया, प्राइस टैग लगा नहीं ….
आजकल कुछ याद नहीं। चाबी कहां, चश्मा कहां, गैस बंद करी या नहीं। बिजली का बिल शायद भरा था, शायद नहीं। आजकल कुछ याद नहीं। ….
एक जमाना था, जब स्कूल में पनिशमेंट आम बात थी। होमवर्क नहीं किया? उठक-बैठक करो। बदतमीजी की? मास्टर जी ने बेंत उठाकर सबक सिखाया। अंग्रेजी ….
आजकल ‘हीरामंडी’ की बहुत चर्चा है। कुछ लोगों को ये सीरीज बहुत पसंद आई। दूसरी ओर हैं वो लोग जो बकवास कह रहे हैं। अब ….