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0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

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बंटवारा अब इतिहास है, फिर क्यों नफरत का अहसास है?

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न एक घर में एक ही मां के दो बेटे जन्मे। दोनों भाई साथ पले-बढ़े, बचपन में एक-दूसरे से गहरा लगाव था। लेकिन जवानी में साफ दिखने लगा कि भाई होते हुए भी दोनों का नेचर बहुत अलग है। बड़ा भाई मिलनसार था, उदार था। छोटा भाई झगड़ालू। खैर, कुछ समय तक सब ठीक था।

छोटा भाई बाहरवालों के साथ झगड़ा करता था, घर में नहीं। दोनों साथ काम करते थे, साथ रहते थे। फिर अचानक, कुछ बदल गया। छोटे भाई के मन में खोट आ गई, कि यहां तो बड़े भाई की ही चलती है। मेरा कोई वजूद, कोई अहमियत नहीं।

ख्याल होता है बीज, अगर उसे हवा-पानी मिले, तो जड़ पकड़ लेता है। पानी देने वालों की तो कोई कमी नहीं। हां, तू सही है, ये सुन-सुन कर छोटे की छठी फूल गई। बड़े भाई की हर बात अब उसे बुरी लगनी लगी। ऐसा लगने लगा कि हमारे बीच कभी प्यार था ही नहीं, सब ढोंग था।

एक दिन, बेचैनी की हद पार हो गई। छोटा भाई बड़े के पास पहुंचा और चिल्लाके बोला- मैं अलग होना चाहता हूं। बड़े ने सुना, लेकिन बात को सीरियसली नहीं लिया। उसे अपने भाई का नेचर पता ही था। गुस्से में है, शांत हो जाएगा। हम अलग थोड़े ही हो सकते हैं…

लेकिन छोटे भाई का दिल कठोर हो चुका था, वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं। उसने पैर पटककर ऐसा हंगामा किया कि भीड़ जमा हो गई। सब तमाशा देख रहे थे। बड़े भाई की आंखों में आंसू। क्यों छोटा मुझसे इतना नाराज है? जरूर मुझसे ही कोई भूल हुई होगी…

लाख मनाने पर भी जब वो नहीं माना, तो बड़े ने कहा, ठीक है। ले अपना हिस्सा, अलग हो जा। तेरी खुशी में मेरी खुशी। बंटवारा करने के लिए किसी बाहरवाले को बुलाया गया। वो आदमी इनके बारे में कुछ नहीं जानता था। उसने काफी कैजुअल तरीके से एक लाइन बनाकर प्रॉपर्टी के दो हिस्से कर दिए।

बड़े भाई ने देखते ही भांप लिया कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है। लेकिन वो और झगड़ा नहीं चाहता था। उसका दिल बड़ा था, और हौसला भी। उसने सोचा, चलो, छोटे की किस्मत। मैं मेहनत करूंगा, और कमा लूंगा। आपस में प्यार थोड़ा बना रहे, मेरे लिए बहुत है।

लेकिन इतना कुछ पाकर भी, छोटे को सुकून ना मिला। उसकी आंख थी एक प्रॉपर्टी पर, जो बड़े के हिस्से में चली गई थी। वो जगह कुछ ऐसी थी, स्वर्ग जैसी। बर्फ के पहाड़ों के बीच, नशीले मौसम वाला पर्यटन स्थल। छोटे का मन नहीं माना- ये तो मेरी होनी चाहिए, उसके अंदर के शैतान ने कहा। रात के अंधेरे में, गुंडे भेजकर, आधी प्रॉपर्टी उसने अपने कब्जे में कर ली।

बड़ा भाई भौचक्का- इतनी नीच हरकत? फिर भी, शायद दिल मनाने को तैयार नहीं। वो जानता था मैं सही हूं, इसके लिए उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कि मामला सभ्यता से निपटाया जाए। छोटे को अब विश्वास हो गया, मेरा भाई कमजोर है।

वो मुझसे लड़ने में कतराता है। इसका मैं फायदा उठा सकता हूं। कुछ साल बाद, उसने फिर हमला किया। इस बार बड़ा भाई पीछे नहीं हटा। जैसे कुरुक्षेत्र में अर्जुन ने अधर्म के खिलाफ तीर-कमान उठाया था, कृष्ण भगवान के कहने पर। बड़ा जीत गया, छोटे ने फिर ललकारा। इस बार छोटे की इतनी बड़ी हार हुई कि एक हाथ भी कट गया। लेकिन सबक सीखने के बजाय वो और धूर्त हो गया। खैर, बड़ा भाई इस दौरान मेहनत और किस्मत से काफी आगे भी बढ़ गया था। अब उसका घर-परिवार फल-फूल रहा था, वहीं छोटे की हालत ऐसी कि उधार पे उधार।

अलग तो हो गए, लेकिन छोटे को सुख नहीं मिला। आज भी वो अपने बगीचे में पानी देने के बजाय भाई के बगीचे से आम तोड़ने की फिराक में रहता है। बंटवारा तो अब इतिहास है, फिर क्यों नफरत का अहसास है? नई पीढ़ियां पैदा हो गईं, तुम खड़े हो वहीं के वहीं।

एक ही मां के ये दो बच्चे, क्यों हैं धागे इतने कच्चे? इक कैंची लेकर खड़ा हुआ है, मार-काट पर तुला हुआ है। अब हम चुप नहीं रह सकते। अब ये जुल्म नहीं सह सकते। तुम्हें सबक सिखाना होगा, बल अपना दिखाना होगा। तू नालायक निकला भाई, इसमें है ना अब दो राय

 

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