रिश्तों में जमी बर्फ पिघलाने के लिए कोशिश जरूरी है
सास, बहू और नागिन वाले सीरियल्स का जमाना गया, अब लोग देख रहे हैं ‘के-ड्रामा’। यानी कोरिया में बने हल्के-फुल्के धारावाहिक। इनमें सबसे लोकप्रिय है रोमांस, जहां किसी गरीब लड़के या लड़की का एक रईस इंसान के साथ चक्कर चल जाता है।
उलट-पुलट, हंसी-मजाक और कुछ कारनामों के बाद उनका होता है मधुर मिलन। साधारण सीरियल यहां खत्म हो जाता है, लेकिन हाल ही में मैंने एक अलग सीरीज देखी। नाम है ‘क्वीन ऑफ टीयर्स’, जिसमें कपल का तलाक हो जाता है।
उनकी भी एक प्रेम कहानी थी, मगर तीन साल बाद वो एक दूसरे से इतने दूर हो गए थे, कि हां और ना में बात होने लगी। यहां तक कि अलग-अलग कमरों में रहने लगे थे। कई कपल्स एक ही बेड पर लेटे हुए अपनी अलग-अलग दुनिया में जी रहे हैं।
एक पार्टनर सोचता है- ‘इससे कुछ कहना ही बेकार, झगड़ा होता है। बेहतर मैं चुप रहूं’। दूसरा सोचता है, ‘अरे ये तो मुझसे बात भी नहीं करना चाहता है’। और इस तरह शुरू होती है एक ऐसी साइकिल, जो रिश्ते को दीमक की तरह खत्म कर देती है।
पुराने जमाने में लोग निभा भी लेते थे, क्योंकि आस-पास सब निभा रहे थे। नई पीढ़ी को मंजूर नहीं। अजनबियों की तरह रहने से बेहतर अलग हो जाएं। और हो जाता है तलाक। मेरी एक सहेली डायवॉर्स लॉयर है, वो किसी पार्टी में जाती है तो चार लोग उसे कोने में ले जाकर वहीं अपनी दुख भरी कहानी उड़ेलने लगते हैं। भाई, जिस तरह की कहानियां वो सुनाती है, मैं हिल जाती हूं। कुछ ऐसे मामले हैं, जहां मानसिक या शारीरिक यातना इतनी है कि तलाक जरूरी है। लेकिन कई हास्यास्पद भी हैं।
हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट को कहना पड़ा कि अगर आपके पति आपको फ्रेंच फ्राइज़ खाने नहीं देते, तो इसे ‘क्रूरता’ नहीं माना जाएगा। असल बात ये थी कि डिलीवरी के बाद पत्नी को बीपी हो गया, इस वजह से मना किया था। पति का ये भी कहना था कि अमेरिका में वही घर के सारे काम करता है।
पत्नी सिर्फ टीवी देखती है और रिश्तेदारों से फोन पर बात करती है। ये एक नया ट्रेंड-सा दिखने लगा है। दूसरी ओर ऐसे भी मिस्टर हैं जो अपनी मिसेज को बिल्कुल आजादी नहीं देते। पैसे के मामले में इनकी मुट्ठी बंद रहती है। पत्नी की कमाई को भी वो कंट्रोल में ले लेते हैं।
बात ये है कि हर इंसान अपने अस्तित्व का प्यासा है। एक पति या पत्नी का रोल निभाने के अलावा मैं कौन हूं? क्या हम दोस्त हैं, जो एक-दूसरे से खुलकर बात कर सकते हैं? हफ्ते-महीने-साल हो गए, आंखों में आंखें डालकर आपने मुझसे कोई दिल में छुपी बात कही हो।
तो हो जाए हर महीने एक शाम, सिर्फ एक-दूसरे के नाम। थोड़ा एफर्ट इसमें डालिए, ये नहीं कि कुछ भी खा लिए। एक बार पत्नी प्लान करे, एक बार पति; सिर्फ ले लें उस डेट की अनुमति। सोचो उसे क्या पसंद है, कुछ ऐसा जो सालों से बंद है। अगर बिल्कुल समझ न आए, तो उसके दोस्तों से आइडिया पाएं।
जमी हुई बर्फ पिघलानी है, एक छोटी सी आशा लानी है। जब बर्फ पिघलती है तो पानी बहता है। ऐसे रिश्ते में ही प्रेम रहता है। प्रेम के घर में सब पनपते हैं, कोई गैर-नहीं सब अपने हैं। पहली डेट के बाद मुझे ईमेल करें, कैसा लगा? तहे दिल से लिखें!