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0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

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क्या स्क्रीन की दुनिया में असली सुकून मिल सकता है?

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‘सुनिए। कहिए। कहिए। सुनिए। कहते सुनते बातों-बातों में प्यार हो जाएगा’। कितना सुंदर और स्पष्ट फॉर्मूला, एक पुराने फिल्मी गीत ने हमें दर्शाया। पर उन्हें कोई आइडिया नहीं था कि चालीस साल बाद क्या हाल होगा। चाहे बड़ा हो या बच्चा, हर कोई आजकल बहरा बनकर घूम रहा है।

आपने देखा ही होगा, ट्रैफिक के बीचों-बीच एक भाईसाहब आराम से क्रॉस कर रहे हैं। हॉर्न बज रहे हैं, उन्हें कोई सुध नहीं। कान में बड्स, हाथ में फोन; पांव जमीन पर ऑटो-मोड में चल रहे हैं। मानो जीता-जागता इंसान हॉरर फिल्म वाला जॉम्बी बन गया हो।

आप रिक्शे में बैठते हो, घर का पता बताकर। आपकी नजर पड़ती है ड्राइवर के फोन पर कि मैप लगाया या नहीं। भाई, वो तो ड्राइविंग करते हुए गेम खेल रहा है। एक तरफ साइकिल, दूसरी तरफ ट्रक, बीच में गाय-बैल भी आ सकती है।

अपने देश में वाहन चलाना वीडियो गेम से कम नहीं। अब दिल में धक-धक हो रही है। रिक्शे ने शार्प टर्न लिया तो मुंह से निकल ही गया, भाईसाब, जरा सड़क पर ध्यान दीजिए। कोई जवाब नहीं तो आपने भी कान में बड्स लगाए, पत्नी को वीडियो-कॉल किया। अपनी दास्तां सुनाकर दिल हल्का किया। चलो, घर न भी पहुंचे तो अंतिम दर्शन तो दे दिया।

वैसे जब आप घर पहुंचोगे तो सन्नाटा मिलेगा। हर कोई मोबाइल में व्यस्त होगा। आप भी वाट्सएप ग्रुप्स में फालतू मैसेज पढ़कर, थोड़ा झगड़ कर टाइम पास कर लेते हो। एक समय था जब टीवी के रिमोट के लिए झगड़े होते थे।

क्रिकेट देखना है या सीरियल। लेकिन कम से कम एक कमरे में साथ बैठकर, थोड़ी चिलम- चिल्ली होती थी। डिनर टेबल पर इधर-उधर की बातें। अब कुछ कहना है तो उंगलियों की कसरत कीजिए। वाट्सएप पर मैसेज कीजिए।

ये अलग बात है कि टाइप किए गए मैसेज में सिर्फ शब्द हैं, भाव नहीं। इसलिए अक्सर लोगों के बीच गलतफहमियां हो जाती हैं। फिर, किसी ने ईजाद की इमोजी। ताकि आप गुस्से में कुछ भी बक डालो लेकिन अब एक-दो स्माइली। सामने वाला चकरा जाए, सीरियस है या मजाक। टाइपिंग… डिलीट…टाइपिंग… उफ्फ!

वैसे जिस दिन से बच्चा इस दुनिया में पैदा होता है उसकी एक ही मांग है- मुझे देखो, मुझे सुनो। जब वो रोता है, तो मां भागकर उसे पालने में से उठाती है। उसकी भूख-प्यास मिटाती है। पर जैसे-जैसे वो बड़ा होता है मां का ध्यान और चीजों पर जाने लगता है। अब उसे इंपॉर्टेंस नहीं मिलती।

कोई मुझे सुने, कोई मुझे देखे- इसी को अंग्रेजी में कहते हैं ‘गिविंग अटेंशन’। जब सिर्फ आपका कान नहीं, आपकी रूह किसी की बात सुनती है। गहराई से उनके साथ कनेक्शन बनता है। चाहे दो या पांच मिनट ही सही, लेकिन एक अजीब सा सुकून दोनों को महसूस होता है।

आज सोना-चांदी नहीं, ‘अटेंशन’ दुनिया की सबसे कीमती वस्तु है। हर कोई इसे पाने के लिए आपको लालच दे रहा है। हम आपका मन बहला देंगे, हमारा वीडियो देखो। हम आपको डिस्काउंट दे रहे हैं, हमारा माल खरीदो।

लेकिन क्या स्क्रीन की दुनिया में हमें असली सुकून मिल सकता है? वो प्यार, वो अपनापन जिसके लिए हम तरसते हैं; पास वाले से नजर फेर कर, फॉरवर्ड पर हंसते हैं। पति-पत्नी एक ही सोफे पर अपने-अपने फोन में, शायद भूल गए हम आपके कौन हैं। ऑनलाइन गुरु जीने का ज्ञान दे रहे हैं, हमारा जीने का कीमती वक्त ले रहे हैं।

ये सौदा हमारे नुकसान का ही है, करते रहो आप इंटरनेट की जय। स्क्रीन से थोड़ी आंख हटाएं, यूं ही लोगों से बतियाएंं। कुछ अपने, कुछ पराए, रिश्तों की डोर में बंध जाएं। दिन में पांच मिनट, सिर्फ पांच मिनट, पूरे दिल से किसी की बात सुनिए।

चाहे घर में या ऑफिस में, ये राह चुनिए। क्योंकि अटेंशन आज दुनिया का सबसे कीमती उपहार है, जिसमें झलकता आपका प्यार है। देर मत कीजिए, पहला कदम आप ही लीजिए। स्माइली चेहरे पर लाइए, ऑफलाइन हो जाइए ।

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