हर महीने एक अच्छी आदत आपको सालभर ऊर्जावान रखेगी
नया साल, वही हाल। कुछ सोचा था कि ये बदलेंगे, वो बदलेंगे। दो दिन किया, फिर हिम्मत टूट गई। खुन्नस में आकर बोला, छोड़ो। जो होना है वो होने दो। आपकी व्यथा समझती हूं। पर निराश ना हों। आपने जो भी न्यू ईयर रिजॉल्यूशनलि या, उसे रखने का एक सरल उपाय है। जानने के लिए पढ़ते जाइए।
पहली बात। आपने निश्चय किया कि मैं इस साल 10 किलो वजन घटाऊंगी। तो दो दिन दिल कड़ा कर सूप, सलाद, फल का सेवन किया। तीसरे दिन जब दाल-रोटी देखी तो रहा ना गया, उस पर टूट पड़ीं। भाई माउंट एवरेस्ट पर आपको चढ़ना है तो उसके लिए तैयारी जमीन पर शुरू करनी होगी। आप बस इतना सोच लो कि हर महीने मुझे एक अच्छी आदत अपनानी है।
पहली आदत: हरी सब्जी का सेवन अधिक करना है। हमारी ज्यादातर महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी है। हरी सब्जी खाते हैं पर रो-धोकर। रोज पालक-पुदीना-तुलसी के सेवन का सरल उपाय- बनाइए ग्रीन स्मूदी। रेसिपी आपको गूगल पर मिल जाएगी। सुबह चाय पीने के पहले पीजिए। कुछ ही दिन में आपको चस्का लग जाएगा।
दूसरी आदत: चाय में शकर डालना बंद कीजिए। अगर आप दिन में तीन कप चाय पीती हैं- एक चम्मच शकर के साथ- तो महीने में औसत 350 ग्राम आपके पेट में गए। सालभर का हिसाब करें तो 4 किलो शकर आपने सिर्फ चाय में ले ली! तो फिर चीनी-मुक्त चाय से फायदा तो होना ही होना है।
तीसरी आदत: सात्विक स्टाइल से भोजन कीजिए। यानी कि वही दाल-सब्जी-रोटी मगर तीनों की मात्रा प्लेट में एक तिहाई होनी चाहिए। दाल और सब्जी बड़े कटोरे में परोसिए, रोटी की क्वांटिटी कम करें। गेहूं के अलावा नचनी, ज्वार या बाजरे की रोटी भी खाइए। सात्विक भोजन से पेट एकदम हल्का महसूस होगा। तो ये भी जरूर ट्राय कीजिए। अब तन से हम चलते हैं मन की ओर।
चौथी आदत: फोन पर फालतू बातें करना बंद कीजिए। कोई आपको अपनी सास की बातें सुना रही है। कोई अपने बॉस का गाना गा रहा है। आप शिकायतों के चक्रव्यूह में ना फंसिए। कुछ और टॉपिक शुरू कीजिए और अगर अगला ना माने तो कोई बहाना बनाकर फोन रख दीजिए। अपना ‘पीस ऑफ माइंड’ सर आंखों पर।
पांचवीं आदत: अपने अंदर गुस्सा हो तो नोटबुक उठाइए और उसमें अपने इमोशंस की उल्टी कर दीजिए। अगर डर है कि कोई पढ़ लेगा तो लिखे हुए पन्ने फाड़कर जला डालिए। फिर भी कुछ बचा-खुचा हो तो तेज वॉल्यूम पर पंजाबी गाने चलाकर ‘गुस्सा डांस’ कीजिए। ये क्या होता है- जो करेगा खुद जान जाएगा, सुकून जरूर मिलेगा।
छठवीं आदत: फोन व्रत। इसका मतलब ये कि दिन में चार घंटे ऐसे हों जिसमें आप अपने फोन की तरफ बिल्कुल ना देखें। सबको इन्फॉर्म कर दो कि 12 से 4 के बीच मैं अवेलेबल नहीं हूं। दो-चार दिन मन मचलेगा, फिर आप सेटल हो जाएंगी। शांति मिलेगी, आराम मिलेगा, चिड़ियों की आवाज और बच्चों की किलकिलाहट सुनाई देगी।
बताइए: एक महीने में एक आदत जोड़ना कोई मुश्किल काम है क्या? आप कर सकती हैं। जब एक आदत पक्की हो जाए, उस पर एक और बैठाएं। इसे कहते हैं ‘हैबिट स्टैकिंग’। ऊंची बिल्डिंग बनती है ईंट के ऊपर ईंट रखकर। छह महीने बाद आप पाएंगी कि मैं पहली मंजिल पर पहुंच गई। फिर दूसरी। फिर तीसरी। और यहां से दुनिया कुछ अलग दिख रही है।
मेहनत जो की है, रंग ला रही है। रग-रग में ऊर्जा आ रही है। क्योंकि अब वश में हैं तन और मन। हर दम नहीं मांगता ईजी फन। अपने आप से संघर्ष जो किया, उस इंवेस्टमेंट ने बढ़िया रिटर्न दिया। एक दिन आप पहुंचेंगी अपने गोल पर। कोई पूछे तो बताना दिल खोलकर।
जो मैंने किया आप कर सकती हैं। क्योंकि अंदर अपार शक्ति है। तो ये आदत पर आदत वाला नुस्खा जरूर अपनाइए। कौन-सी आदत चुनी, मुझे ईमेल पर बताइए। महीने के अंत में प्रोग्रेस रिपोर्ट दीजिएगा। खुद के साथ चीटिंग ना कीजिएगा।
एक अपनी कोई सहेली या साथी चुन लीजिए। थोड़ा एक- दूसरे को मोरल सपोर्ट कीजिए। जब तक 2025 आएगा, आपका ट्रांसफॉर्मेशन हो जाएगा। माउंट एवरेस्ट को देखकर ख्याल आएगा। अरे मुश्किल नहीं, हो जाएगा। सबको स्वास्थ्य और शांति, जब हो आदतों की क्रांति।