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0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

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सेहत पर जरूर ध्यान दो, पर शक्ल के पीछे ना परेशान हों

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इस हफ्ते मेरा हैप्पी बर्थडे है। वैसे हर साल कुछ लोग 8 मार्च को मुझे विश कर देते हैं। क्योंकि इंटरनेट में ढूंढो तो वही डेट निकलती है। और तो और, गूगल देवता के हिसाब से मेरा जन्म 1985 में हुआ था। मतलब सिर्फ 6 साल की उम्र में मैंने आईआईएम में दाखिला पाया। है ना कमाल! खैर, अगर कोई समझता है कि ये सच है तो मैं टोकती नहीं। बिना किसी ताम-झाम, अगर मेरी उम्र घट सकती है तो सही है जी। कम से कम किसी डॉक्टर के पास तो नहीं जाना पड़ा, जहां लाखों रुपए भी देने पड़ते।

मगर शायद जवान दिखने के लालच में ज्यादातर महिलाएं कड़ी यातना सहने को तैयार हैं। क्या ये तरीके सचमुच रिजल्ट देते हैं? कुछ दिन पहले मैं किसी की शादी में शामिल हुई। दूर की एक रिश्तेदार से मुलाकात हुई तो उन्होंने ठीक से स्माइल नहीं दी। मुझे लगा शायद नाराज हैं। फिर किसी ने कान में फुसफुसाया- बोटोक्स।

अब साफ-साफ नजर आने लगा है। पहले देखो भौहें, यानी कि आईब्रो। क्या वो चेहरे पर अजीब से एंगल पर लटकी हुई हैं? जैसे कि मोहतरमा अचम्भित हैं और उस एक्सप्रेशन में अटकी हुई हैं? वाह जी वाह बोटोक्स। अब माथा देखो, संगमरमर के फर्श की तरह सपाट। जैसे इमली की चटनी बिन चाट। वाह जी वाह बोटोक्स।

आंखों के अगल-बगल कोई लाइन नहीं, जैसे लालबत्ती कूदने का फाइन नहीं। गाल गुब्बारे की तरह फूले हुए, उम्र के तकाजे को भूले हुए। मुस्कराहट दबी हुई, फीकी-सी। शकल है कुछ क्रीपी-सी। जैसे मैडम तुस्साद की वैक्स की मूरत, ऐसी बन गई है सूरत। कोई मुंह पर कहता नहीं, पर पता तो है सबको भाई। जो आपकी उम्र है, सो है।

उसको दबाने, मिटाने, हटाने के प्रयास आप कितना भी करें, फिर से चौबीस साल के तो नहीं बनने। और ना बनें तो अच्छा है, उस उमर में हर कोई कच्चा है। जवानी में भी हमने कौन-सा खुद को अपनाया? ज्यादातर लोगों ने चेहरे में नुक्स ही पाया। नाक बड़ी है, मुंह चौड़ा, अपनी सुंदरता से मुख मोड़ा।

आज पुरानी फोटो देखकर अहसास होता है, सौंदर्य का आभास होता है। खैर, सुंदर तो आप आज भी हैं। बस प्लास्टिक की गुड़िया का रूप न लें। चेहरे पर हर लाइन, हर झुर्री में लिखी है जिंदगी। तो फिर अपने अस्तित्व से क्यों ये शर्मिंदगी? सेहत पर जरूर ध्यान दो, शक्ल के पीछे ना परेशान हों।

खैर, इस ट्रेंड के लिए जिम्मेदार हैं फिल्म स्टार, जो दिखते हैं बिना डेंट के लग्जरी कार। चाहे हेमा मालिनी या माधुरी, बोटोक्स के पीछे छिपने में क्या बहादुरी? पहले के सितारे जैसे आशा पारिख या वहीदा रहमान, उनकी आज भी बनी हुई है पहचान। उनके सुनहरे बालों में दिखता है ग्रेस, दमकता है उनका झुर्रियों वाला फेस।

बोटोक्स का इंजेक्शन आपके माथे को सुन्न करता है, फिर कोई भाव ना उस पे उभरता है। तो फिर एक्टर एक्टिंग कैसे करेंगी? क्या सिर्फ ग्लैमर के दम पर चलेंगी? चलो हर किसी के बस की बात भी नहीं, लाखों खर्च करने की औकात नहीं। शायद यही आपके लिए अच्छा है, शीशे में जो दिख रहा है सच्चा है।

कई लोग अपने जन्मदिन से घबराते हैं। अपनी एज को वो भूलना चाहते हैं। 30वें बर्थडे पर मैं भी उदास थी। मगर मेरे साथ बिलकुल उलटा हुआ। उम्र जैसे बढ़ी, उल्लास बढ़ा। अब किसी का डर नहीं, ना कोई प्रेशर। जो मैं हूं सो हूं आई एक्सेप्ट विद प्लेज़र। लोग क्या कहते हैं, आई डोंट केयर। जीवन में हर कुछ होता नहीं है फेयर।

कितने साल, महीने, दिन इस धरती पर रहना है। जिंदगी कुछ पलों का बना हुआ गहना है। इस गहने को लॉकर में रखकर भूल ना जाएं, कल के इंतजार में आज ना बिताएं। हर जन्मदिन एक बहुमूल्य तोहफा है, उम्र तो सिर्फ एक धोखा है। आत्मा अमर है, मरती नहीं।

वो मौत से भी डरती नहीं। मैंने पृथ्वी पर इक्यावन साल गुजारे हैं, देखो आसमान में कितने तारे हैं। ब्रह्मांड तो इतना विशाल है। मैं एक कण, एक अंश, मेरी क्या मजाल है?उम्र से लड़ो नहीं, जीने से डरो नहीं।

पुरानी फोटो देखकर अहसास होता है, सौंदर्य का आभास होता है। खैर, सुंदर तो आप आज भी हैं। बस प्लास्टिक की गुड़िया का रूप न लें। चेहरे पर हर झुर्री में लिखी है जिंदगी। फिर अपने अस्तित्व से क्यों ये शर्मिंदगी?

 

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