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0 (0) Rashmi Bansal is a writer, entrepreneur and a motivational speaker. An author of 10 bestselling books on entrepreneurship which have sold more than 1.2 ….

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टेक्नोलॉजी की लगाम हाथ में रहनी चाहिए। नहीं तो लुढ़क सकते हैं, चोट लग सकती है

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18.05.2022

आज सुबह उठते ही आपने अपना फोन हाथ में उठाया होगा और एप्स की दुनिया में सफर शुरू। कुछ लोग जागते ही फिटनेस एप खोलते हैं तो कुछ अपने गुरुजी के एप पर सुनते हैं प्रवचन। फिर चेक किया मेरा लेटेस्ट इंस्टाग्राम पोस्ट किस-किसने लाइक किया। ‘सुनो घर पर ब्रेड खत्म है।’ कोई बात नहीं, झटपट डिलीवरी वाले एप से मंगवा ली।

एक तरफ इन एप्स ने हमारी जिंदगी आसान कर दी। दूध वाले और सब्जी वाले के साथ अब छुट्‌टे के लिए कोई झगड़ा नहीं होता। वे हंसकर कहते हैं, मैडम पेटीएम या गूगल-पे कर दो। सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने वाले दिन गए, ज्यादातर काम ऑनलाइन हो जाते हैं। नौकरी से टोकरी तक, हर चीज आपकी उंगलियों के इशारों से उपलब्ध।

मगर इस उपलब्धि के पीछे छुपे हुए हैं कुछ कड़वे सच। हर ऑफर जेन्युइन नहीं होता। देख-परख कर हमें इस्तेमाल करना है। जो कम्पनी एप लॉन्च करती है, उसे चाहिए ज्यादा से ज्यादा यूजर्स। और वो भी ऐसे जो उन्हें नियमित रूप से पैसा दें। ऐसे कस्टमर जोड़ने से कम्पनी की वैल्यूएशन बढ़ेगी और उन्हें अगला मोटा इंवेस्टर मिलेगा।

हर परिवार चाहता है कि मेरा बच्चा अच्छी तरह पढ़-लिख जाए। तो इस दिली तमन्ना को एक अपॉर्चूनिटी के रूप में देखकर एड-टेक कम्पनियां तरह-तरह के प्लान्स बेच रही हैं। उनकी सेल्स टीम को टारगेट मिले हुए हैं कि इतने विद्यार्थी तो आपको लाने ही हैं। आप समझ सकते हैं कि वे क्या-क्या नाटक-नुस्खे अपनाते होंगे।

कहावत है ‘बायर बिवेयर’, यानी कि ग्राहक को सतर्क रहना चाहिए। अफसोस की बात ये है कि कम्पनियां ऐसे लोगों को टारगेट कर रही हैं, जिनके पास ज्ञान कम है, और पैसा भी। मगर बच्चे के भविष्य के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। चिकनी बातों में आकर वो साइन-अप कर लेते हैं। लेकिन जो बताया जाता है, वो सर्विस मिलती नहीं। गाढ़ी मेहनत की कमाई बरबाद।

इससे भी खतरनाक हैं वो एप्स जो इंस्टैंट लोन देते हैं। यानी कि बिना जांच-पड़ताल, दो-चार क्लिक्स के बाद आपके अकाउंट में पैसा जमा। अब ऐसा घाटे वाला बिजनेस कौन करेगा? पहले जानिए तो सही कि देने वाले की सोच कितनी टेढ़ी है। ये एक सुविधा नहीं, आपको फंसाने के लिए जाल बिछाया है।

मानो आपने किसी एप से पांच हजार रुपए उधार लिए। एक महीने बाद, आप वो पैसा वापस नहीं कर पाए। सोचा, अगले महीने दे दूंगा। अचानक आपके साले का फोन आता है कि जीजाजी, मेरे पास वॉट्सएप्प मैसेज आया है कि आपने कोई लोन लिया था, चुकता नहीं किया। आप चोर हैं, डिफॉल्टर हैं, ऐसा मैसेज आपके सारे परिचितजनों के पास पहुंच जाता है। आप शर्म से पानी-पानी भी और हैरान भी।

दरअसल जब आपने पहली बार एप इस्तेमाल किया था, उसने आपके कॉन्टैक्ट्स और फोटोज़ को एक्सेस करने की अनुमति ले ली थी। कुछ मैसेज आया था, आपने पढ़ा नहीं या समझा नहीं और आई एक्सेप्ट क्लिक कर दिया। अब उसी का नाजायज फायदा उठाकर आपको वो परेशान करेंगे। आपकी बदनामी करेंगे।

अगर आप भावुक इंसान हो तो बात हद्द के पार पहुंच सकती है। लोन एप्स की डराने-धमकाने वाली टैक्टिक्स से तंग आकर लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं। आए दिन अखबार में ऐसी दर्दनाक खबरें छप रही हैं। क्यूंकि हमारे समाज में हर इंसान को अपनी इज्जत जान से भी ज्यादा प्यारी है।

अच्छा यही होगा कि आप ऐसे लोन्स के चक्कर में ना पड़ें। अगर पैसे की तंगी है तो खर्चे किसी तरह कम करें। या फिर आमदनी बढ़ाने के तरीके सोचें। ‘गेट रिच क्विक’ स्कीम्स से आज तक कोई अमीर नहीं बना है। चाहे चिटफंड हो या क्रिप्टोकरेंसी, वादों और इरादों में जमीन-आसमान का फर्क होता है। मोबाइल जेब में शान से रखिए मगर उसके मालिक बनिए गुलाम नहीं। (ये लेखिका के अपने विचार हैं)

हर टेक्नोलॉजी के दो पहलू होते हैं। परमाणु ऊर्जा से इंसान बम बना सकता है, या घर-घर बिजली पहुंचा सकता है। ये निर्णय नेतागण के हाथों में था। पर मोबाइल सभी के हाथ में है। सतर्क रहना होगा, अनुशासित भी।

 

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