नौकरी छोड़ बिजनेस करना चाहते हैं तो पहले ये बातें जान लें, उद्यमी बनने से पहले यह जानें कि आप में उद्यमी बनने के गुण हैं या नहीं
05.08.2021
सुबह के साढ़े सात बजे, बड़ी मुश्किल से साहबज़ादे बेड से निकले। ब्रश करते-करते अहसास हुआ कि आज भी ऑफिस की बस मिस हो जाएगी। दिन की रेस में भागने का काम शुरू। बस पकड़ भी ली, हांफते-हांफते, मगर कोसते हुए। यह क्या ऑफिस, यह क्या बॉस। क्यों मैं इस फालतू की नौकरी-चाकरी में फंसा हुआ हूं? ऑफिस में सहकर्मी बातें कर रहे हैं। तूने ज़ोमैटो के आईपीओ में एप्लाई किया? नहीं यार। तो अभी पेटीएम का आईपीओ मिस मत करना। चारों तरफ स्टार्टअप वालों का ही बोलबाला है।
अपने कॉलेज का बैकबेंचर, उसको भी पिछले दिनों फंडिंग मिली। ऐसे माहौल में ख्याल जरूर आता है कि अपना बिजनेस खोल लूं। पर डर भी है। महीने के अंत में बैंक खाते में सैलरी नहीं आएगी। मोटरबाइक के ईएमआई कैसे भरूंगा? बाकी खर्चे? ना बाबा, इतना रिस्क कौन लेगा। ये छोटी-सी नौकरी ही सही… यह दुविधा एक की नहीं है, हजारों नौजवानों के दिलोदिमाग में ये ख्याल उमड़ रहे हैं। ‘टू बी ऑर नॉट टू बी’, स्टार्टअप की चकाचौंध के सिलसिले में भी शेक्सपियर का यह सवाल जोड़ सकते हैं।
पांच सौ से ज्यादा उद्यमियों के इंटरव्यू लेने के बाद मैं आपको इस टॉपिक पर थोड़ी-सी गाइडेंस देना चाहूंगी। पहली बात यह कि जिसको अपना कुछ करने का भूत सवार होता है, वो कर के रहता है। अगर आपकी रातों की नींद भंग नहीं हो रही, तो इरादा कच्चा है। रहने दीजिए। जैसे फिल्मों में प्रेमी को चारों तरफ अपनी प्रेमिका दिखाई देती है, उद्यमी को अपना बिजनेस आइडिया दिखई देता है। और ज्यादातर लोग उनपर हसेंगे कि भाई ये कौन इस्तेमाल करेगा?
2010 में विजय शेखर शर्मा ने पेटीएम शुरू किया, तो किसी ने ऑनलाइन पेमेंट के बारे में सुना तक नहीं था। अब पानवाला भी पेटीएम से पैसे लेता है। दुनिया तेजी से बदल रही है और बदलती रहेगी। अगर आप कोई नई सर्विस लोगों को देना चाहते हैं, तो उसे होना चाहिए थोड़ा ‘अहेड ऑफ इट्स टाइम।’ यानी काफी दिन स्ट्रगल करना होगा। आइडिया में दम है तो वो फैलेगा। हाल में यूके का एक स्टार्टअप 1.1 बिलियन डॉलर में बिका। कंपनी का नाम आपने सुना भी न होगा- डीपॉप।
ये है पहने हुए कपड़े, जूते का मार्केटप्लेस। विकसित देशों में युवा पीढ़ी का नया शौक है सेकंड हेंड सामान खरीदना-बेचना। दस साल पहले जब डीपॉप शुरू हुआ, किसने सोचा था इतना बड़ा होगा? आम आदमी व उद्यमी में बस एक फर्क है। उद्यमी को कल की सच्चाई आज दिखती है। उसका विश्वास है कि मेरी आज की कल्पना एक दिन हकीकत होगी। मगर उस मुकाम पर पहुंचने के लिए कुआं और खाई, दोनों पार करने पड़ेंगे। तो मेरी सलाह है कि उद्यमी वो बने जिसकी मन और घर की स्थिति ठीक हो।
मन की स्थिति यानी वो इंसान जो ठोकर खाकर भी निराश न हो। घर की स्थिति यानी अगर आप पर जिम्मेदारियां हैं, जिन्हें निभाना अनिवार्य है, तो पहले उनपर ध्यान दें। नौकरी डॉट कॉम के मालिक संजीव बिखचंदानी ने कहा था कि जब उन्होंने कंपनी शुरू की, तो पत्नी सुरभि जॉब कर रही थीं। इसीलिए वे बेफिक्री से नए काम में जुट पाए। कॅरिअर का हाइवे छोड़ उद्यम के नुकीले पथ पर चलने से पहले, लाइफ पार्टनर की सहमति जरूरे लें।
जूझना है बाहर, घर में नहीं। तो अगली बार जब आप किसी उद्यमी का हंसता चेहरा न्यूज में देखें, तो याद रखें कि हंसी के पीछे कई ज़ख्म भी हैं। अगर सुख-शांति की जिंदगी चाहते हैं तो नपे-तुले रास्ते पर चलते रहिए। जॉब के प्रति आदर भाव रखते हुए काम पूरे कीजिए। घर और ऑफिस में रोशनी फैलाइए। संतुष्टि का लड्डू खाइए।
मेरी सलाह है कि उद्यमी वो बने जिसकी मन और घर की स्थिति ठीक हो।–बहुत विचारणीय सुझाव यानि अगर एक पार्टनर जॉब में है तो दूसरा पार्टनर रिस्क ले सकता है व् लेना चाहिए